पटना : बिहार में जीतन राम मांझी को लेकर महागठबंधन के भीतर घमासान और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं. महागठबंधन में शामिल पार्टी भाकपा(माले) ने मांझी प्रकरण पर एतराज जताया है. माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है-छोटे दलों पर महागठबंधन की बड़ी पार्टी द्वारा विलय का दवाब बनाना गलत है. जीतन राम मांझी को हमसे बात करनी चाहिये थी.
मीडिया से बात करते हुए बिहार की सबसे बड़ी वाम पार्टी भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि अगर नीतीश कुमार ये दबाव डाल रहे थे कि जीतन राम मांझी अपनी पार्टी हम का जेडीयू में विलय कर दे तो मांझी को सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों से बात करनी चाहिए थी. दीपंकर ने कहा कि छोटे दलों पर गठबंधन की ही बड़ी पार्टी द्वारा इस तरह का दबाव बनाना गलत है. अगर मांझी ने लेफ्ट पार्टियों से बात की होती तो हम लोग उनकी बात को उठाते.
माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पता चला है कि जीतन राम मांझी पर अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय करने का दबाव बनाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मांझी को दबाव में नहीं आना चाहिये था और अपनी पार्टी का विलय न करते हुए महागठबंधन में ही बने रहना चाहिए था. कोई जबर्दस्ती उनकी पार्टी का विलय नहीं करा सकता था.
माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि महागठबंधन सही तरीके से काम करता रहे इसके लिए शुरू से ही एक कोर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की जा रही है. दीपंकर ने इस बात पर नाखुशी जाहिर की है कि महागठबंधन की सरकार बने दस महीने बीत जाने के बाद भी कोई कोर्डिनेशन कमिटी नहीं बनाई गई है. इसकी मांग सिर्फ माले ही नहीं बल्कि सारी लेफ्ट पार्टियां और हम पार्टी शुरू से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कर रही थीं.