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जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ के उद्घोष के साथ ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ प्रारंभ

हलाल’के माध्यम से चल रहे आर्थिक आक्रमण को उत्तर दें :रणजित सावरकर

गोवा। वर्तमान स्थिति में हिन्दू 80 प्रतिशत हैं; परंतु जाति, प्रांत में विभाजित हो गए हैं । वर्ष 712 में इस भारत में हिन्दुओं की संख्या लगभग 100 प्रतिशत थी । मोहम्मद बिन कासिम का आक्रमण हुआ और उसने हिन्दुओं में पडी हुई फूट का उपयोग कर हिन्दू राजा दाहिर का पराभव किया। हिन्दू संगठित नहीं हैं, यह हमारे पराभव का प्रमुख कारण है। नौखाली में जिस प्रकार हिन्दुओं का हत्याकांड हुआ, उसी प्रकार आज भी बांग्लादेश में हिन्दुओं के सिर काटे जा रहे हैं । प्राचीन लडाई तलवार के बल पर थी तथा आज की लडाई आर्थिक स्तर पर चल रही है। ‘हलाल जिहाद’ के माध्यम से प्रत्येक क्षेत्र, व्यवसाय मुसलमान नियंत्रण में ले रहे हैं । उसका प्रत्युत्तर देने के लिए प्रत्येक व्यवसाय में हिन्दुओं को जोडकर अपनी आर्थिक शक्ति बढाकर उसका उत्तर देना पडेगा, ऐसा आवाहन ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के कार्याध्यक्ष एवं वीर सावरकरजी के पोते श्री. रणजित सावरकरजी ने किया*। वे ‘श्री रामनाथ देवस्थान’, फोंडा, गोवा के ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ अर्थात एकादश ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। इस अधिवेशन में देश विदेश तथा भारत के विविध राज्यों के 312 से अधिक हिन्दू संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हैं ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ से एकत्रित हुई हिन्दू शक्ति हिन्दू राष्ट्र निर्माण के लिए जोडी जाएगी ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृती समिती


खालिस्तान का आतंकवाद, श्रीरामनवमी-हनुमानजयंती आदि त्योहारों पर दंगों की बढी हुई संख्या, समलैंगिक विवाह का समर्थन, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के व्यभिचार को मान्यता, अश्लीलता का बढता प्रकोप, अनैतिकता को संवैधानिक बनाने का प्रयत्न सहित अनेक आवाहन हिन्दुओं के सामने हैं । इन सर्व समस्याओं पर ‘सेक्युलर’ राज्यव्यवस्था में कोई उत्तर नहीं है तथा शाश्वत हिन्दू राष्ट्र ही उसका उत्तर है । सनातन धर्मदर्शन में हिन्दू विश्व, अर्थात वैश्विक हिन्दू राष्ट्र का विचार है । इसलिए यह ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ एक प्रकार का जनमंथन है । इस जनमंथन से एकत्रित हिन्दू शक्ति ही हिन्दू राष्ट्र निर्माण के विश्वकल्याणकारी कार्य के लिए जोडी जानेवाली है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने इस अवसर पर किया ।

ग्रंथों का लोकार्पण !

इस अवसर पर ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की अनमोल सीख’ (खंड 1) : साधना प्रत्यक्ष सिखाने की पद्धति’ इस हिन्दी एवं मराठी ग्रंथ का लोकार्पण भागवताचार्य श्री राजीवकृष्णजी महाराज झा, पू. भागिरथी महाराज, पू. रामज्ञानीदास महात्यागी महाराज, अधिवक्ता पू. हरिशंकर जैन, महंत दीपक गोस्वामी के हस्ते तथा ठाणे (महाराष्ट्र) के श्री. दुर्गेश परुळकर लिखित ग्रंथ ‘महाभारत के अलौलिक चरित्र : खंड 1, निष्काम कर्मयोगी भीष्म’ का लोकार्पण श्री. दुर्गेश परुळकर, सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, केरलीय क्षेत्र परिपालन समिति के आचार्य पी.पी. एम. नायर, प.पू. यतीमाँ चेतनानंद सरस्वती के करकमलों से किया गया। अधिवेशन का प्रारंभ शंखनाद एवं मान्यवरों के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर किया गया । दीपप्रज्वलन के उपरांत वेदमंत्रों का पठन हुआ। इस समय सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के संदेश का वाचन सद्गुरु सत्यवान कदम ने किया ।
इस अवसर पर श्रृंगेरी के दक्षिणम्नाय श्री शारदा पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री भारती तीर्थ महाराज के उत्तराधिकारी जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री श्री विधुशेखर भारती महाराज ने दिए हुए आशीर्वादरूपी संदेश का ‘वीडियो’ दिखाया गया। धर्म पर श्रद्धा बढाने के लिए एवं धर्म का आचरण होकर धर्म की रक्षा होने के लिए ऐसे अधिवेशनों की अत्यंत आवश्यकता है ।’, ऐसा उन्होंने इस संदेश में कहा है । इसके साथ ही कर्नाटक के पेजावर मठ के श्री विश्वप्रसन्नतीर्थ स्वामीजी के संदेश का भी वाचन किया गया ।

 

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