पटना । विगत फरवरी में पटना में ही आयोजित भाकपा-माले के 11 वें महाधिवेशन से निकला विपक्ष की व्यापक एकता का सूत्र लगातार सकारात्मक दिशा में अग्रसर है। 23 जून को तानाशाही मोदी हुकूमत के खिलाफ पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक बेहद महत्वपूर्ण है। भाकपा-माले की चाहत है कि यह बैठक पूरी तरह सफल हो। बैठक से विपक्षी एकता की चल रही प्रक्रिया और एजेंडे को नई गति मिलेगी।
उक्त बातें आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कही। उनके साथ पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा व अमर भी शामिल थे।
दीपंकर ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने जीडीपी में मामूली वृद्धि के अंतरिम आंकड़े और जीएसटी संग्रह में वृद्धि को लेकर ढोल पीटना शुरू कर दिया है। हकीकत यह है कि भारत ने महामारी-अवधि की गिरावट से उबरना भर शुरू किया है। देश की जनता भयानक आर्थिक संकट-बेरोजगारी की मार झेल रही है।80 प्रतिशत लोग गरीबी में डूबे हुए हैं। दूसरी ओर, पूरे देश में हिंसा-उन्माद व अराजकता का माहौल है। इस माहौल में भला कोई आर्थिक विकास कैसे संभव है? मोदी सरकर ने पूरे देश को अराजकता में धकेल दिया है।
विगत तीन महीनों से मणिपुर जल रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद भी जारी हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है।ताजा हिंसा के मामले में एक बार फिर से कई लोगों की जान गई है। ये खबरें बेहद चिंताजनक हैं।उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए मुसलमानों के खिलाफ न केवल नफरती उन्माद का अभियान चलाया जा रहा है बल्कि उन्हें जगह-जगह से भगाया जा रहा है। महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़क बृजभूषण शरण सिंह अभी तक गिरफ्तार नहीं किए गए हैं और विडंबना तो यह कि वे घुम-घुम कर रैलियां आयोजित कर रहे हैं। इससे शर्मनाक दौर और क्या हो सकता है?
बालासोर ट्रेन हादसा में सीबीआई जांच की अनुशंसा की गई है। हमारा मानना है कि यह मामले की लीपापोती का प्रयास है। मामला रेलवे के प्रति सरकार की लगातार बढ़ती उदासीनता का है। सुरक्षा मानक पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है और बहाली के बदले छंटनी की प्रक्रिया जारी है। सरकार को इसमें कोई साजिश तलाशने की बजाए अपनी कमियों पर फोकस करना चाहिए।
बिहार में महागठबंधन सरकार से भी जनता की काफी उम्मीदें हैं।हम सरकार से लगातार बातचीत की प्रक्रिया में हैं। हमें उम्मीद है कि जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार सकारात्मक पहलकदमी लेगी और आंदोलनरत समूहों के साथ बातचीत करने का रास्ता अपनाएगी।
आगे यह भी कहा कि लोकतंत्र में सभी छोटे-बड़े दलों को एक समान अधिकार प्राप्त हैं। यह कहना कि छोटे-छोटे दलों को अपनी दुकानें बंद कर लेनी चाहिए, केवल बड़े दल ही राज करेंगे, कहीं से भी सही नहीं है।
भाजपा की केंद्र सरकार की 9 साल की तबाही-बर्बादी के खिलाफ आज महागठबंधन के दलों के आह्वान पर पूरे बिहार में प्रखंड मुख्यालयों पर आयोजित धरना में बड़ी संख्या में भागीदारी हो रही है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में महागठबंधन के दलों में नीचे के स्तर पर और मजबूत एकता स्थापित होगी तथा आंदोलनों का आज से शुरू हुआ सिलसिला एक नई ऊंचाई हासिल करेगा।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि भाजपा रूपी विपदा से मुक्ति के लिए सभी लोग अभी से ही जी जान से जुट जाएं।यह जरूरी नहीं कि लोस चुनाव 2024 में हो, वह इस साल के अंत में भी हो सकता है. इसी हिसाब से हमें तैयारी करनी है।