पटना एम्स में एसएसएस के गार्ड्स खुलकर के मरीजों व उनके परिजनों से कर रहे हैं गुंडागर्दी

आलोक नंदन शर्मा, पटना। पटना एम्स में सुरक्षा के नाम पर सुरक्षा कंपनी एसएसएस के गार्ड्स मरीजों और उनके परिजनों के साथ खुलकर के गुंडागर्दी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। उनके द्वारा मरीजों और उनके परिजनों के साथ बदसलूकी, मारपीट,धक्का-मुक्की की शिकायतें लगातार आ रही है। जब उनकी गुंडागर्दी और बदसलूकी से संबंधित गतिविधियों को कोई अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करने की कोशिश करता है तो वे उसका मोबाइल फोन भी तोड़ने से तोड़ने से नहीं हिचकते हैं।

बुधवार की सुबह को पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में इसी तरह की एक घटना घटी। वहां पर रक्त संबंधित जांच कराने के लिए मरीजों को टोकन दिया जा रहा था। टोकन देने के बाद उन्हें एक लंबी लाइन लगाने को भी कहा जा रहा था। अधिकतर मरीज बिहार के दूरदराज के इलाकों से अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि होने की वजह से वे लोग तो कल लेकर के लंबी लाइन में लगे हुए थे। जब टोकन दे रहे व्यक्ति से यह पूछा गया की टोकन लेने के बाद इन्हें लाइन में लगने की क्या जरूरत है ? जब टोकन नंबर मरीजों को मिल ही रहा है तो फिर उन्हें लाइन में क्यों लगाया जा रहा है? टोकन दे रहे व्यक्ति से ही जानकारी मिली कि अंदर के कुछ मशीन खराब हो गए हैं जिसकी वजह से लाइन लंबी होती जा रही है। जब टोकन से संबंधित गड़बड़ी और खराब मशीन के संबंध में पता लगाने की कोशिश की जाने लगी तो अचानक से एसएसएस के सुरक्षाकर्मी हाथापाई पर उतर आए और खबर को कवर कर रहे हैं संवादाता के हाथ से मोबाइल छीन कर के पटकने की भी कोशिश की। उनका मन इतना से भी नहीं भरा तो वे संवाददाता के साथ धक्का-मुक्की करते हुए उसे पैथोलॉजिकल डिपार्टमेंट से बाहर निकालने में जुट गए। उनके द्वारा की जा रही है गुंडागर्दी की मोबाइल में ली गई तस्वीरों को भी उन्होंने जबरन डिलीट कर दिया। इस दौरान कुछ लोग और महिलाएं बीच बचाव में आए तो वे लोग उनके साथ भी मारपीट करने पर उतारू हो गए।

एम्स के कैंपस में तैनात एसएसएस के सुरक्षाकर्मियों ने पहली बार गुंडागर्दी नहीं की है। इसके पहले भी मरीजों के साथ मारपीट करने की शिकायतें आ चुकी है। एम्स प्रशासन को भी इनके गुंडागर्दी के बारे में पूरी जानकारी है, बावजूद इसके एम्स प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस संबंध में पूछे जाने पर एम्स से जुड़े एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि कैंपस के अंदर सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी ठेकेदारी प्रथा के आधार पर एसएसएस कंपनी को दे दी गई है। कंपनी ने एम्स के अंदर अधिकतर अप्रशिक्षित और अनपढ़ लोगों को गार्ड बनाकर के तैनात कर दिया है। बिहार के विभिन्न इलाको से इलाज कराने आने वाले मरीजों और उनके परिजनों के साथ कैसे पेश आना है इसका प्रशिक्षण इन्हें बिल्कुल नहीं दिया गया है। किसी भी तरह की समस्या आने पर उसका समाधान यह लोग बस मारपीट करके करने की कोशिश करते हैं।
कैंपस के अंदर मरीजों या इनके परिजनों द्वारा किसी भी तरह की शिकायत करने पर ये लोग सीधे-सीधे गुंडागर्दी पर उतर आते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है की एम्स में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को इनकी गुंडागर्दी से कौन बचाएगा?
इस संबंध में पूछे जाने पर एसएसएस के एक चीफ गार्ड ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं।
पटना एम्स में ओपीडी करने के लिए पहले फॉर्म लेना पड़ता है। यह फार्म वितरित करने की जिम्मेदारी भी एसएसएस के गार्डों को मौखिक तौर पर सौंप दी गई है। पहले मरीजों को लंबी कतार में लगकर के इनसे पर्ची लेना पड़ता है, फिर ओपीडी की लंबी-लंबी लाइनों में लगनी पड़ती है। सवाल उठता है कि यह ओपीडी की ये पर्चियां सहजता से मरीजों या उनके परिजनों के बीच में क्यों नहीं वितरित करने की व्यवस्था की जाती है? उन्हें बार-बार कतारों में लगने के लिए मजबूर क्यों किया जाता है?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले एक साल के अपने कार्यकाल में पटना एम्स के कार्यवाहक निदेशक डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल ने उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने की सफल कोशिश की है, लेकिन एसएसएस के भाड़े पर नियुक्त गार्ड्स उनके सारे किए कराए पर पानी फेर रहे हैं।