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पटना । जदयू मुख्यालय में प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि जीतन राम मांझी महागठबंधन में थे तब वह कहा करते थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एहसान मैं जीवन भर नहीं भूल सकता हूं। हिमराज राम ने सवालिया लहजे में पूछा कि पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी पर बैठाकर उन्हें सम्मानित किया। लेकिन क्या कभी जीतन राम मांझी ने केंद्र सरकार से दशरथ मांझी को भारत रत्न की उपाधि दिलाने की मांग की? जीतन राम मांझी को यह भी बताना चाहिए बिहार में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनसंख्या भागीदारी के हिसाब से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण को बढ़ाने का फैसला लिया लेकिन केंद्र सरकार देश भर में यह कदम कब उठाएगी?
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित बापू जगजीवन नाम छात्रावास योजना के तहत बिहार एवं पंजाब में एक भी छात्रावास नहीं बनाया गया जबकि इन राज्यों में अनुसूचित जाति के लोग सबसे अधिक है। क्या इसके लिए कभी जीतन राम मांझी ने आवाज उठाई? नई संसद भवन के शिलान्यास में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को नहीं बुलाया गया एवं उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया। क्या यह दलितों का अपमान नहीं था?
हिमराज राम ने कहा कि डाॅ. भीमराव अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम, रामनाथ कोविंद एवं महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के अपमान करने वाले के साथ जो राजनैतिक रूप से खड़ा होगा वह अनुसूचित जनजाति एवं जाति का विरोधी माना जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जब जीतन राम मांझी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली गए थे तो उन्हें गेट के बाहर चप्पल उतरवा कर अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी तब उनका स्वाभिमान कहा था?
इस मौके पर अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक रजक, प्रदेश सचिव कमल करोड़ी, रुबेल रविदास एवं जाॅर्ज मांझी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।