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एक शिक्षक, एक पर्यावरण प्रहरी: डॉ. रणजीत कुमार सिंह की हरित कहानी

झारखंड की धरती से निकला एक सच्चा “पर्यावरण चैंपियन”

रिपोर्ट ~ चुन्नु सिंह 

📍 राजमहल, साहिबगंज | 6 जून 2025

जब दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस के रंग में रंगी थी, झारखंड के राजमहल से एक हरियाली की कहानी पूरे देश के लिए मिसाल बन गई। एक कॉलेज प्राचार्य, एक शिक्षक, और एक पर्यावरण प्रेमी – डॉ. रणजीत कुमार सिंह – को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून ने “पर्यावरण चैंपियन अवॉर्ड 2025” से नवाजा।

यह केवल एक अवॉर्ड नहीं था — यह एक आवाज थी, जो कह रही थी कि बदलाव कक्षा से भी शुरू हो सकता है, अगर शिक्षक में जुनून हो और नीयत हरित हो।

🌿 कॉलेज से जंगल तक: डॉ. सिंह की पर्यावरण यात्रा

राजमहल के मॉडल कॉलेज को एक हरित परिसर में बदलना, छात्रों को वृक्षारोपण, प्लास्टिक विरोध और पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील बनाना — ये सब उनके लिए “कार्यक्रम” नहीं, बल्कि “कर्तव्य” हैं।

हर साल सैकड़ों पौधे कॉलेज के छात्र लगाते हैं, नारा नहीं – निभाया जाता है: “एक छात्र, एक पौधा”।

पर्यावरणीय कविता, निबंध और विज्ञान गोष्ठियों के ज़रिए छात्रों में प्रकृति के लिए लगाव पैदा किया गया।

प्लास्टिक मुक्त परिसर, सिर्फ बोर्ड पर नहीं, व्यवहार में दिखता है।

🏆 सम्मान जो जिम्मेदारी बन गया

डॉ. सिंह को यह पुरस्कार उस वक्त मिला जब चिपको आंदोलन की प्रणेता सुदेशा बहन ने उन्हें मंच पर सम्मानित किया। यह क्षण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, यह पीढ़ियों के बीच पर्यावरणीय उत्तराधिकार का संकेत था।

यह अवॉर्ड मेरे लिए एक नई शुरुआत है। हमें अब सिर्फ शिकायत नहीं, जिम्मेदारी निभानी होगी। हर नागरिक अगर एक पौधा लगाए, तो हम आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और साफ पानी दे सकते हैं।”

– डॉ. रणजीत कुमार सिंह

🎤 सम्मेलन में मौजूद रहे देश के पर्यावरण प्रहरी

डॉ. संगीता अंगोम (वैज्ञानिक, WII-NMCG) – उद्घाटन भाषण

हेमलता खंडूरी (ईको डेवलपमेंट ऑफिसर) – प्रेरणास्पद वक्तव्य

अनुरूप नौटियाल (SDC फाउंडेशन) – “पर्यावरण अब केवल एजेंडा नहीं, अस्तित्व का सवाल है।”

🌏 विश्व पर्यावरण दिवस 2025: क्यों खास है ये साल?

थीम: “प्लास्टिक प्रदूषण को हर कोने से मिटाओ – अब नहीं तो कभी नहीं”

मेज़बान देश: दक्षिण कोरिया

हर साल: 400 मिलियन टन प्लास्टिक उत्पादन

11 मिलियन टन समुद्र में

हर इंसान: 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक प्रतिदिन निगल रहा है!

📣 डॉ. सिंह का संदेश – यह सिर्फ तारीख नहीं, चेतना है

“विश्व पर्यावरण दिवस एक जागरूकता नहीं, एक दिशा है।

सोचें हरित, जिएं हरित।

Say NO to Plastic, Say YES to Life!”

🌟 झारखंड का गौरव, सिदो-कान्हु विश्वविद्यालय का सम्मान

उनकी उपलब्धि पर झारखंड के कई प्रमुख व्यक्तियों ने बधाई दी:

कुलपति प्रो. (डॉ.) कुनुल कंदीर

डीसी हेमंत सती, डीएफओ प्रबल गर्ग

आईएएस रामनिवास यादव, मनीष तिवारी (DFO)

अन्य अधिकारियों व शिक्षाविदों ने इस उपलब्धि को “साहिबगंज का गर्व” बताया।

🌳अगर आप भी पर्यावरण योद्धा बनना चाहते हैं? तो…

प्लास्टिक से परहेज़ करें

हर महीने एक पौधा लगाएं

बच्चों में पर्यावरणीय समझ बढ़ाएं

सफाई और हरियाली को आदत बनाएं 

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