बिहार

हजारों किसान मजदूर पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल में एकजुट हुए

पटना। संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त देशव्यापी आह्वान पर मोदी सरकार के कॉरपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों-मजदूरों की 23 सूत्री मांगों को लेकर पटना में ऐतिहासिक “किसान-मजदूर महापड़ाव” आज अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर गई।

इस ऐतिहासिक महापड़ाव में दस हजार से अधिक किसान और मजदूर केन्द्र सरकार की किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर एकजुट हुए।

वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी और किसानों की आय दुगुनी करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने किसानों के साथ घोर विश्वासघात किया है। स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने और एमएसपी को कानूनी हक का दर्जा देने की जगह किसानों के साथ विश्वासघात किया गया। किसानों की आय दुगुनी करने की जगह कृषि आय में गिरावट आई है। वहीं खाद, डीज़ल, पेट्रोल के दामों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है।

वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार की साम्राज्यवादपरस्त और कॉरपोरेटपरस्त नीतियों ने श्रमिकों को एक भयानक त्रासदी में धकेल दिया है। बढ़ती बेरोजगारी, घटती आय और महंगाई ने श्रमजीवियों पर कहर ढा दिया है। सरकार द्वारा स्वीकृत आईएलओ कन्वेंशन का पालन नहीं करने, काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने, त्रिपक्षीय वार्ता का पालन नहीं करने तथा नई पेंशन योजना आदि के विरुद्ध संघर्ष अब देशव्यापी स्वरुप ले चुका है। ठेकाकरण, निजीकरण, और संविदाकरण के खिलाफ आंदोलन तेज हो रहे हैं।

वक्ताओं ने कहा कि किसान-मजदूर महापड़ाव के माध्यम से एमएसपी की कानूनी गारंटी करने, चार श्रम संहिताओं को रद्द करने, योजनाकर्मियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को पुनः बहाल करने, बिहार में एपीएमसी अधिनियम को पुनः बहाल करने, बटाईदार किसानों का निबंधन करने, किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा देने, प्रगतिशील भूमि सुधार को लागू करने, युवाओं को रोजगार देने, निजीकरण को बंद करने, मनरेगा की मजदूरी और कार्यदिवस बढ़ाने, महंगाई पर रोक लगाने, खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने, सहित अन्य मांगों को उठाया गया।

महापड़ाव में सीटू, ऐक्टू, एटक, एआईयूटीयूसी , टीयूसीसी, यूटीयूसी, इंटक, बिहार राज्य किसान सभा (केदार भवन), बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड), अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, जय किसान आंदोलन, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, बिहार किसान समिति, क्रांतिकारी किसान यूनियन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), अग्रगामी किसान सभा, जल्ला किसान संघर्ष समिति, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, स्वामी सहजानंद विचार मंच, किसान मजदूर विकास संगठन से जुड़े हजारों मजदूर किसान शामिल हुए।

महापड़ाव की अध्यक्षता एटक के अजय कुमार, सीटू के अरूण कुमार मिश्र, इंटक के नंदन मंडल, ऐक्टू के शशि यादव, टीयूसीसी के बलिराम विश्वकर्मा, बिहार किसान समिति के पुकार, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के शंभू प्रसाद सिंह, जल्ला किसान संघर्ष समिति के शंभूनाथ मेहता, अखिल भारतीय अग्रगामी किसान सभा के अमेरिका महतो, एनएपीएम के उदयन चन्द्र राय ने की।

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की तरफ से सीटू के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव महिला नेत्री ए आर सिंधु, बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड) के उपाध्यक्ष अवधेश कुमार, बिहार राज्य किसान सभा (केदार भवन ) के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह, अखिल भारतीय किसान महासभा (बिहार)के प्रांतीय सचिव उमेश सिंह, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के नेता इंद्रदेव राय, बिहार किसान समिति के नेता बलदेव झा, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के नेता सुभाष यादव , जल्ला किसान संघर्ष समिति के नेता शंभू नाथ मेहता, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के नेता अयोध्या राम, क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता मनोज कुमार, जितेंद्र पासवान, जय किसान आन्दोलन के नेता ऋषि आनंद, किसान मजदूर विकास संगठन के नेता प्रमोद कुमार ने महापड़ाव को संबोधित किया।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की तरफ से सीटू के अनुपम कुमार, एटक के नेता डीपी यादव, बलिराम सिंह, ऐक्टू की नेता सरोज चौबे, एआईयूटीयूसी की नेता अनामिका कुमारी, शंभू नंदन शर्मा, एआर सिंधु, सुरेश दास कनौजिया, मिंता देवी ने महापड़ाव को संबोधित किया।

 

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