बिहार

हजारों की तादाद में आशा कार्यकर्ताओं का महाजुटान, सरकार को चेताया

सरकार आशाओं को दे सुविधाएं, महागठबंधन के घोषणापत्र को पूरा करे

पटना । विगत 12 जुलाई से जारी दस हजार न्यूनतम मासिक मानदेय और रिटायरमेंट पैकेज सहित 9 सूत्री मांगों को लेकर आशा संयुक्त संघर्ष मंच के बैनर से आंदोलित आशाकर्मियों-फैसिलिटेटरों की सरकार के साथ दो राउंड की सरकार से हुई वार्ता की असफलता के बाद आज पटना में हजारों की तादाद में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ आशाकर्मियों का महाजुटान हुआ।

आशा कार्यकर्ताओं की लोकप्रिय नेता शशि यादव ने कहा कि दो राउंड की वार्ता असफल हो चुकी है, लेकिन इससे हम निराश नहीं होने वाले हैं. जब तक हमारी मांगें मानी नहीं जाती हमारी हड़ताल जारी रहेगी.
महाजुटान में शामिल आशाकर्मियों ने मुठ्ठी बांधकर उनकी बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह ताज्जुब वाली बात है कि बिहार की महागठबंधन सरकार आशाकर्मियों को न्यूनतम मानदेय भी नहीं देना चाहती जबकि वह महागठबंधन के घोषणापत्र में शामिल था। हम श्री तेजस्वी यादव जी को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्होंने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय व सम्मानजनक की राशि देने की घोषण की थी। उसे वे पूरा करें।
उन्होंने कहा कि न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से सरकार ने मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1 लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आदि राज्यों में आशा-आशा फैसिलिटेटरों को जो सुविधायें मिल रही हैं, बिहार सरकार उसे ही लागू कर दे।
विश्वनाथ सिंह ने कहा कि तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशाएं शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं। परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं।भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं, लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है। हम बिहार सरकार से इस तरह की उम्मीद तो नहीं ही करते, लेकिन दुर्भाग्य यही चल रहा है. 18 महीने के पिछला बकाया में एक महीना की राशि 10 करोड़ देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगें को दरकिनार करना चाहते हैं। आशाएं सजग हैं,गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा।
विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि मुख्यमंत्री से पुनः वार्ता कराने पर चर्चा हुई है। तेजस्वी यादव के पटना पहुंचते ही वार्ता अविलंब शुरू होगी और आशाओं के पक्ष में फैसला आएगा। वाम दल के सभी विधायक मजबूती से हर प्लेटफॉर्म पर आशाओं के लिए न्यूनतम मानदेय की मांग उठायेंगे। हमारी प्राथमिकता जनता के सवाल हैं। महागठबंधन की सरकार को आशाकर्मियों की मांगें हों या फिर शिक्षकों के उन सवालों को पूरा करना ही होगा। ओडिशा जैसा बिहार से गरीब राज्य जब आशाकर्मियों को सुविधाएं दे रहा है तो बिहार सरकार क्यों नहीं दे सकती?
सीपीएम के अजय कुमार ने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाएं भी नहीं दे रही है. हम विधानसभा से लेकर सड़क तक आपके आंदोलन के साथ हैं।
महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है. मौके पर ऐक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार, प्रेमचंद सिन्हा सहित कई अन्य कर्मी भी उपस्थित थे।

इस महाजुटान को भाकपा-माले विधायकों, सीपीएम के विधायकों सहित अन्य नेतागण अपना समर्थन देने गर्दनीबाग धरनास्थल पहुंचे मुख्य रूप से माले विधायक दल नेता महबूब आलम, उपनेता सत्येदव राम, गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव, अमरजीत कुशवाहा और सीपीएम के अजय कुमार व सत्येन्द्र यादव ने आशा कार्यकर्ताओं के महाजुटान को संबोधित किया।
अन्य वक्ताओं में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, सरोज चौबे, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की नेता शशि यादव, मालती देवी, सुनीता भारती, चंद्रकला, सावित्री देवी, तरन्नुम फैजी, जूही आलम, बिहार रज्ञज्य आशा सह आशा फैसिलिटेटर संघ के विश्वनाथ सिंह, मो. लुकमान, मीरा सिन्हा, सुबेश सिंह आदि ने भी संबोधित किया।

 

 

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